अतः विपक्षीगण / प्रतिवादीगण द्वारा अपीलार्थीगण/वादीगण के विरूद्ध विद्वेषपूर्ण अभियोजन चलाये जाने का कोई प्रश्न नहीं पैदा होता।
2.
इस दोषमुक्ति के आधार पर अपीलार्थीगण / वादीगण द्वारा एक वाद विद्वेषपूर्ण अभियोजन के लिये मुव0 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का दावा विद्वान सिविल जज (सीनियर डिविजन), रूद्रप्रयाग के न्यायालय में संस्थित किया गया।
3.
लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि मुकदमे वापस लेने की अनुशंसा करते समय समिति इस बात का विशेष ध्यान रखे कि इन मुकदमों की वापसी से राज्य शासन पर विद्वेषपूर्ण अभियोजन का मामला न बन सके।
4.
वादीगण द्वारा प्रतिवादीगण से पैसा ऐंठने एवं प्रतिवादीगण की श्रीनगर स्थित मकान पर जबरन कब्जा करने की नियत से झूठा विद्वेषपूर्ण अभियोजन का मुकदमा दायर किया गया है जब कि प्रतिवादीगण की कोई भी विद्वेषपूर्ण भावना वादीगण से नहीं है।